देखिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है की कुष्ठ रोग क्या होता है यह एक ऐसी संक्रामक बीमारी है जो Mycobacterium Leprae नामक के जीवाणु से होती है यह जीवाणु अनुपचारित मामलों के निकट और लगातार संपर्क के दौरान नाक और मुंह से निकले बूंदों के माध्यम से प्रेषित होते हैं।
कुष्ठ रोग मानव इतिहास के प्राचीन रोगों में से एक है। इसे आम भाषा मे कोढ़ की बीमारी भी कहा जाता है ये रोग मानव शरीर के त्वचा और तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। हालांकि कुष्ठ रोग को एक संक्रामक बीमारी तो कहते है परंतु इसके संक्रामण होने की संभावना काफी कम होती है इसका उपचार पूर्णत: दवाइयों के द्वारा हो सकता है आरंभिक चरण में पहचान होने पर, इसकी रोकथाम हो सकती है। इसकी समय पर पहचान और उपचार न होने पर यह खतरनाक हो सकता है।
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कुष्ठ रोग होने के कारण
आपके दैनिक जीवन मे आहार की कमी, शुद्ध आहार न मिलना और दूषित जल का सेवन आज कल की हानिकारक सौंदर्ये प्रधान की वस्तुए हम जो प्रयोग करते है इस वजह से त्वचा रोग, कुष्ठ रोग जैसी भयानक बीमारी हो जाती है
देखिये ये बीमारी एक छोटे से बच्चे से लेकर एक बड़े, बूढ़े इंसान तक किसी को भी हो सकती है एक कुष्ठ रोगी जब छींकता या खांस्ता है तो हवा मे जो छींटे उड़ते है उनमे ये बैक्टीरिया होता है जिससे ये बीमारी फैलती है देखिये इसके फैलने के पिछे का जदातर कारण तो खांसी-जुखाम ही होता है परंतु जैसे खांसी जुखाम तो जल्दी एक दूसरे से फैलता है लेकिन कुष्ठ रोग ठीक इसके विपरीत होता है इसे एक दूसरे से फैलने मे काफी लंबा समय लगता है यह तब होता है जब आप एक कुष्ठ रोगी से लंबे समय तक संपर्क मे रहते है
अगर कोई व्यक्ति कुपोषण का शिकार है उससे भी ये रोग होने की संभावना काफी जादा होती है इसके विपरीत अगर आप एक दम स्वस्थ व तंदरुस्त है तो आप मे ये बीमारी होने की संभवन बहुत कम होती है शरीर के वो हिस्से जिंका तापमान बाकी हिस्सो से कम रहता है जैसे नाक, कान, आँख और स्किन इन सभी हिस्सो पर बैक्टीरिया का प्रभाव काफी जादा रेहता है इसलिए इन हिस्सो पर ये रोग होने का खतरा जादा रहता है
कुष्ठ रोग कितने प्रकार के होते है?
पॉसीबैसीलरी (Paucibacillary)
पॉसिबैसिलरी रोगी वे होते हैं जो त्वचा की स्मियर नकारात्मक होते हैं और बायोप्सी पर अधिक उन्नत बीमारी का कोई सबूत नहीं दिखाते हैं
मल्टीवेसिलेरी (Multibacillary)
मल्टीबैसिलरी रोगी वे होते हैं जो स्किन स्मीयर पॉज़िटिव होते हैं और/या जिनकी बायोप्सी अधिक उन्नत बीमारी का संकेत देती है।
कुष्ठ रोग के लक्षण
- इसके लक्षण को दिखने मे 2 से 5 साल का वक्त लगता है
- शरीर की त्वचा पर लाल रंग व भूरे रंग के धब्बे होते है
- इस बीमारी मे नज़र कमज़ोर हो जाती है
- हाथों और पैरों की वो मांसपेशीयां जो इन नसों से जुड़ी होती है उनमे विकृति आने लगती है
- इसमे रोगी के हाथ और पैरों मे अकड़न आने लग जाती है
- हाथ और पैर सुन्न पड़ने लगते है जिससे ये अंग कमज़ोर पड़ जाते है और मरीज़ो के हाथों और पैरों मे चोट लगती रहती है इसके कारण इसमे घांव होते रहते है क्यूकि ये हिस्से सुन्न रहते है इसलिए मरीज़ो को पता ही नही चल पता और इन घवों मे इन्फ़ैकशन हो जाता है जिसके कारण ये घांव लंबे समय तक ठीक ही नही होते और बढ़ते चले जाते है
कुष्ठ रोग की पहचान कैसे होती है?
कुष्ठ रोग की शीघ्र पहचान करना अच्छा होता है और यह रोग पूर्णतः ठीक हो सकता है, इसलिए त्वचा पर कोई भी पैच में सुन्नपन हो तो, तुरंत त्वचा विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें।
कुष्ठ रोग की पहचान त्वचा को स्पर्श मात्र से हो सकती है और यह जांच के लिए आसान तरीका है। पहला कदम – पेन की नोक को उस स्थान पर चुभाया जाता है। दूसरा कदम – अगर पैच पर संवेदनशीलता न हो तो, अस्पताल भेज कर या सेवा प्रदनकर्ता से संपर्क कर अगली जांच की जा सकती है।
अगर जांच सकारात्मक हो तो, अगले चरण में पहुंचने से पहले, तुरंत उपचार करना जरूरी है। शीघ्र उपचार, कुष्ठ रोग अन्य शारीरिक भागों को नुकसान की रोकथाम में सहायक होता है। सूचना नही बल्कि जांच और पुष्टीकरण जरूरी है जिससे कुष्ठ रोगी के जीवन को बेहतर बनाया जा सके।
कुष्ठ रोग के उपचार
इसका काफी समय पहले से इसका इलाज मौजूद है सरकार की तरफ से किसी भी सरकारी अस्पताल मे इसका इलाज बिलकुल मुफ्त है दवाइयो द्वारा ही इसका इलाज़ संभव है कुष्ठ रोग की रोकथाम और उपचार मल्टी ड्रग के द्वारा कुष्ठ रोग किसी भी अवस्था में पूरी तरह ठीक हो सकता है। इसकी दवाएं सभी सरकारी अस्पतालों में सी एच सी और पी एच सी में मुफ्त मिलती है।
इसके इलाज का कार्यकाल 6 से 1 साल तक चलता है किसी भी अवस्था का कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। रोग की शीघ्र पहचान और उपचार से कुष्ठ रोगी को शारीरिक विकृति से बचाया जा सकता है। कुष्ठ रोग के कारण हुई विकृति भी आधुनिक सर्जरी के द्वारा ठीक की जा सकती है। यह डी. एम. पी. आर. सेंटर में मुफ्त में होती है। इस रोग के लिए भारत मे बहुत सारे अस्पताल बने है कुष्ठ रोग के लिए Purulia leprosy Hospital भारत का सबसे अच्छा अस्पताल है।
इसके साथ The Leprosy Mission Hospital दिल्ली का सबसे अच्छा अस्पताल है Dr Bandorawalla Government Leprosy Hospital महाराष्ट्रा (Maharashtra) का सबसे अच्छा अस्पताल है
कुष्ठ रोग से बचाव
1. अपने शरीर की सफाई रखे और आस पास-साफ भी सफाई रखे 2. किसी भी कुष्ठ रोगी से जादा लंबे समय के लिए संपर्क न रखें 3. चोट लगने पर घांव को अच्छी तरह साफ करें 4. डॉक्टर की सलाह पर दी गई दवाएं लेने पर टिशू के और अधिक नुकसान होने से बचाता है। 5. साफ–सफाई और नियमित रूप से दवाओं और फलों के सेवन से कुष्ठ रोग का इलाज संभव है 6. मल्टी ड्रग थेरेपी (एम डी टी) के द्वारा कुष्ठ रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है 7. मल्टी ड्रग थेरेपी की दवाएं सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध होते हैं।
कुष्ठ रोग मे क्या खाए क्या न खाए
कुष्ठ रोग मे आपको जादातर विटामिन ए और विटामिन सी युक्त फलो व भोजन का सेवन करना चाहिए जैसे गाजर, शक्कर कंद, पालक, चकुंदर, आम, अंडा, दूध और दूध से बनी चिजे, हरे पत्तेदार सब्जिय, तरबूज, पपीता और अंगूर आदि का सेवन करना चाहिए इसमे आपको जितना हो सके अच्छा खाना खाना चाइए
कुष्ठ रोग मे भूलकर भी बासी खाना नहीं खाना चाहिए इसमे आपको दूषित खाना खाने व दूषित पानी पीने से बचना चाहिए हो सके तो मांस व मछली का सेवन न ही करे तो अच्छा है जितना हो सकते शुद्ध व शाकाहारी भोजन का सेवन करें
पतंजलि मे कुष्ठ रोग का आयुर्वेदिक इलाज
- जिनको त्वचा रोग या कुष्ठ रोग है वे तुलसी की 5-7 पत्तियों व 2-4 नीम की पत्तियों को पीसकर प्रातःकाल नियमित रूप से सेवन करें
इससे कुष्ठ रोग व त्वचा संबंधी दाग, खाज, खुजली की समस्या दूर होगी - 1 भाग तुलसी के पत्ते को पीस कर उसका रस निकाल लें उसके बाद उसमे 4 भाग नींबू के रस को तुलसी के रस मे अच्छी तरह से मिला लीजिए
अच्छी तरह से मिल जाने के बाद उसके लेप को जहा-जहा आपको दाग व खाज की समस्या है वह पर इसे लगाइए कुछ ही दिनो बाद आपकी त्वचा
के अंदर जो विकार है वो खत्म हो जाएगा जिससे आपकी त्वचा एक दम साफ व सुंदर नज़र आएगी - इसके साथ आप पतंजलि का बना दिव्य कांतिलेप (Divya Kantilep) लगा सकते है ये दिव्य लेप भी काफि असरदार है
कुष्ठ रोग होने के पीछे फैली लोगो की मान्यताए
देखिये आपने ये तो उपर जान ही लिया है की कुष्ठ रोग के पीछे फैलने के क्या कारण है परंतु लोगो को ये जानना भी बहुत जरूरी है की इसको लेकर एसी कौन सी गलत मान्यताए है
फैली गलत मान्यताए
1. बहुत से लोगो का ये मानना है की यह रोग एक अभिशाप है और जिस व्यक्ति ने पिछले जन्म मे कुछ ऐसे कुकर्म किए है उसको ये श्राप जीवन भर व्यतित करना पड़ेगा तो ऐसा बिलकुल भी नही है ये सिर्फ एक बीमारी है और जब इसका इलाज किया जाता है इसका मरीज़ ठीक हो जाता है साथ मे ये बीमारी पूरी तरह जड़ से भी खत्म हो जाती है।
2. बहुत से लोग ऐसा मानते है की ये बहुत संक्रामक बीमारी है तो ऐसा बिलकुल भी नही है ये बीमारी इतनी आसानी से नही फैलती है इसे फैलने मे काफी लंबा समय लगता है
3. कई लोगो का मानना है कि कुष्ठ रोगी के साथ बैठने, खाना खाने या हाथ मिलाने से कुष्ठ रोग फ़ेल जाता है
तो ऐसा बिलकुल भी नही है ये बीमारी छूने से तो बिलकुल भी नही फैलती, ये फैलती है छींटो से जो नाक के द्वारा निकलते है अगर आप स्वस्थ है तो आपको होने कि संभावना बहुत कम है
4. कुछ लोगो का मानना है कि कुष्ठ रोगी कि उंगलिया पिघल कर गिर जाएगी लेकिन ऐसा नही है इसमे जो बार-बार घांव होते है
वो हाथ पैर कमज़ोर होने के कारण होते है इसमे आपकी त्वचा सुन्न पड़ जाती है और घांव कि केयर न होने की वजह से वो घांव कभी भरते नही है अगर सही समय पर इन घांव का इलाज हो जाए तो ये पूरी तरह से ठीक हो जाते है
5. कई लोगो का मानना है की अगर किसी को हो जाए तो उससे घरवालो से दूर रहना पड़ता है और उसके लिए अलग से कही और रखना पड़ता है तो ऐसा बिलकुल भी नही है अगर एक बार इलाज शुरू हो गया को वो पूरी तरह से ठीक हो जाता है
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